Tuesday, November 23, 2010

Earth Day - "Maati-Utsav" (माटी उत्सव)


पृथ्वी दिवस के अवसर पर दो दिवसीय माटी उत्सव का आयोजन 21 - 22 अप्रैल, 2010 को किया गया। माटी उत्सव में बाल भवन जयपुर की सदस्य संस्थाओ के बच्चों ने धरती माँ के प्रति अपनी भावनाओं को मिटटी के विभिन्न रूपों में उकेरने के साथ पोस्टर मकिंग, स्लोगन लेखन से अभिव्यक्त की। माटी उत्सव में प्रख्यात लेखक देवरिषि डॉ कलानाथ शास्त्री ने बच्चों को पृथ्वी दिवस के जानकारी देते हुए बताया कि हमारे शास्त्रों में हजारों वर्ष पहले ही विद्वानों ने लिख दिया था कि धरती पर अनेक प्रकार कि बहुमूल्य प्राकृतिक वस्तुए हे, जिनको यदि सरक्षित नही किया गया तो भविसये में इनके परिणामों से मानव जाती को अनेक समस्याओ से रूबरू होना पड़ेगा। वेदों में लिखे धरती के रूपों कि संरचना से बच्चों को अवगत करवाते हुए बताया कि पहले ऋषि-मुनि आदि मूर्ति पूजा के बजाय प्रकृति के मूल स्वरूपों सूर्य, धरती, हवा, पानी कि पूजा करते थे, कालान्तर में इनको मानव रूपों में मूर्तियों में बनाया गया तब से मानव ने मूल रूपों को छोड़कर मूर्ति कि पूजा करने लगे। जिनका प्रभाव धरती पर पड़ रहा हे।
पृथ्वी दिवस पर बच्चों ने पृथ्वी अथार्थ धरती रूपी माँ पर हो रहे कैंसर रूपी जहरीले प्रदूषणों से बचाने कि मार्मिक अपील को चित्रों, पोस्टर मकिंग, स्लोगन लेखन, मिटटी से चाक पर दीपक, पशु-पक्षियों सहित अनेक प्रकार कि प्राकृतिक चीजे बनाकर कि।

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